अंग्रेजी के प्रोफेसर से एक स्टूडेंट ने पूछा कि सर
नेटुरे का अर्थ क्या होगा? प्रोफेसर साहब हैरान!
टालने के लिए कह दिया कि कल बता दूँगा। उन्होंने
पूरी डिक्शनरी छान मारी, किन्तु उन्हें नेटुरे शब्द
नहीं मिला। अगले दिन स्टूडेंट ने फिर से पूछा कि सर
नेटुरे का मतलब क्या होता है? उस दिन भी उन्होंने
बात टाल दी। अब तो वह रोज़ पूछने लगा। प्रोफेसर
साहब उससे इतना घबराने लगे कि उस लड़के
को देखते ही रास्ता बदल देते, किन्तु वह रोज़ आकर
उनको टेँशन देकर चला जाता। अंत में झुँझला कर
उन्होने उस लड़के से कहा कि मुझे नेटुरे की स्पेलिंग
बताओ। लड़के ने। कहा NATURE। अब तो प्रोफसर
साहब का ख़ून खौल गया। उन्होंने उस लड़के से
कहा कि मुझे बेवकूफ बनाते हो, नेचर को नेटुरे कह
कह कर तुमने मेरा जीना मुश्किल कर दिया था। मैं
तुम्हें कालेज से निकलवा दूँगा। लड़के ने झट से
प्रोफेसर साहब के पैर पकड़ लिये और रोते रोते
कहा कि सर ऐसा अनथॅ मत कीजिएगा नहीं तो मेरा "
फुटुरे " ख़राब हो जाएगा।
भावनाओं का संक्रमण: हमारी जुड़ी हुई दुनिया में साझा भावनाओं की छिपी ताकत आजकल हम जो इतने जुड़े हुए हैं, वहां हम लगातार हर तरह की जानकारी और भावनाओं से घिरे रहते हैं। सोशल मीडिया की खुशियों से लेकर बड़ी खबरों के डर तक, ऐसा लगता है कि हमारी भावनाएं ऑनलाइन और असल दुनिया में दूसरों से मिलती हैं। इस चीज को भावनाओं का संक्रमण कहते हैं, यानि जाने-अनजाने में दूसरों की भावनाएं हम तक पहुंच जाती हैं । ये एक बहुत बड़ी ताकत है जो हमारा मूड, हमारे सोचने का तरीका, और यहाँ तक कि हमारी सेहत भी बदल सकती है, और ये अक्सर बिना हमें पता चले होता है। इसके पीछे का विज्ञान भावनाओं का संक्रमण सिर्फ एक कहावत नहीं है। खोज बताती है कि इसका दिमाग से बहुत गहरा संबंध है। हमारे दिमाग में कुछ खास कोशिकाएं होती हैं, 'मिरर न्यूरॉन्स'। जब हम किसी को कुछ करते या महसूस करते हुए देखते हैं, ये कोशिकाएं काम करने लगती हैं। जैसे, जब हम किसी को हंसते हुए देखते हैं, तो हमारे अपने मिरर न्यूरॉन्स उसे नकल करते हैं, और हम भी शायद खुश हो जाते हैं। सिर्फ नकल ही नहीं, भावनाओं का संक्रमण हमारी बॉडी लैंग्वेज और आवाज के उतार-चढ़ा
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