जीया जले, जान जले ,रातभर धुँआ जले ।-बुखार(Fever)
तडप तडप के इस दिल से आह निकलती रही।-ह्रदयघात (Heart
Attack)
सुहानी रात ढल चुकी ,ना जाने तुम कब आओगे। -कब्ज़
(Constipation)
बीडी जलाइले जीगर से पीया, जीगर मे बडी आग है। -
खट्टापन (Acidity)
तुझमे रब दिखता है यारा मै क्या करूँ।- मोतियाबिन्द
(Cataract )
तुझे याद ना मेरी आई, किसी से अब क्या कहना। -मानसिक
रोग (Alzheimer's)
मन डोले मेरा तन्न डोले।- चक्कर आना (Vertigo)
टिप टिप बरसा पानी, पानी ने आग लगायी. -मूत्रीय संक्रमण
(Urinary Infection)
दिल धडक धडक के कह रहा है -उच्च रक्तचाप (Hypertension)
आजकल पाँव जमीं पर नही पडते मेरे.- पैर मकई (Corn On Feet)
हाय रे हाय नीन्द नही आए..Insomnia
छुपाना भी नही आता, बताना भी नही आता- बवासीर
(Piles)
और अंत में.......
लगी आज सावन की फिर वो झडी है।- दस्त (Loose Motion )
घरों में छुपा संघर्ष: क्यों मानसिक स्वास्थ्य को प्यार चाहिए, शर्म नहीं हम भारतीयों को अपने मजबूत परिवारों पर गर्व होता है, वो अटूट सहारा प्रणाली जो हमें हर मुश्किल दौर में साथ बांधकर रखती है. लेकिन क्या होता है जब उन ज़िम्मेदारियों का बोझ सहना इतना ज़्यादा हो जाता है कि उसे चुपचाप सहना पड़े? क्या होता है जब वो जो सब कुछ संभाले हुए हैं, वो अदृश्य रूप से जूझ रहे हैं? मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं हम में से बहुतों को जकड़ लेती हैं, यहां भारत में, फिर भी हम अक्सर उन्हें कमज़ोरी या किसी तरह की कमी के रूप में खारिज कर देते हैं. लेकिन ये पागलपन या अस्थिरता के संकेत नहीं हैं. ये भीतर से आने वाली पुकारें हैं, मदद के लिए गुहार लगाते हैं, जो ज़िंदगी के थपेड़ों और असफलताओं के बोझ तले दबे हुए हैं. अपने मां बाप या किसी ऐसे भाई या बहन की कल्पना कीजिए जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते है, हर बोझ को अपने कंधे पर उठा लेते है. लेकिन क्या हो अगर वही भाई या बहन डूब रहा हो, चारों तरफ शुभचिंतक मौजूद हों, परंतु मदद के लिए आवाज़ न निकाल पाए? शायद उसकी मुस्कान एक मुखौटा है, जो तन...
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