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अगस्त, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंकल, टाइम क्या हुआ है

एक रेलवे-स्टेशन की बेंच पर एक वृद्ध सज्जन बैठे ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे थे. तभी एक नौजवान लड़का वहाँ आया. लड़का - "अंकल, टाइम क्या हुआ है." वृद्ध सज्जन - "मुझे नहीं मालूम." लड़का - "लेकिन आपके हाथ में घडी तो है! प्लीज बता दीजिए न कितने बजे हैं ?" वृद्ध सज्जन - "मैं नहीं बताऊँगा." लड़का - "पर क्यों ?" वृद्ध सज्जन - "क्योंकि अगर मैं तुम्हे टाइम बता देंगा तो तुम मुझे थैंक्यू बोलोगे और अपना नाम बताओगे. फिर तुम मेरा नाम, काम आदि पूछोगे. फिर संभव है हम लोग आपस में और भी बातचीत करने लगें. हम दोनों में जान-पहचान हो जायेगी तो हो सकता है कि ट्रेन आने पर तुम मेरी बगल वाली सीट पर ही बैठ जाओ. फिर हो सकता है कि तुम भी उसी स्टेशन पर उतरो जहां मुझे उतरना है. वहाँ मेरी बेटी, जोकि बहुत सुन्दर है, मुझे लेने स्टेशन आयेगी. तुम मेरे साथ ही होगे तो निश्चित ही उसे देखोगे. वह भी तुम्हे देखेगी. हो सकता है तुम दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठो और शादी करने की जिद करने लगो. इसलिए भाई, मुझे माफ करो .! मैं ऐसा कंगाल दामाद नहीं चाहता जिसके पास टाइम देखने के लिए अपन

केले कैसे दिए

स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के ऑफिस के बाहर राजू केले बेच रहा था। बिजली विभाग के एक बड़े  *अधिकारी* न पूछा : " केले कैसे दिए" ? *राजू* :  केले किस लिए खरीद रहे हैं साहब ? *अधिकारी* :-  मतलब ??  *राजू* :-  मतलब ये साहब कि, *मंदिर* के प्रसाद के लिए ले रहे हैं तो 10 रुपए दर्जन।  *वृद्धाश्रम* में देने हों तो 15 रुपए दर्जन।  बच्चों के *टिफिन* में रखने हों तो 20 रुपए दर्जन।  *घर* में खाने के लिए ले जा रहे हों तो, 25 रुपए दर्जन  और अगर *पिकनिक* के लिए खरीद रहे हों तो 30 रुपए दर्जन। *अधिकारी* : - ये क्या बेवकूफी है ? अरे भई, जब सारे केले एक जैसे ही हैं तो,भाव अलग अलग क्यों बता रहे हो ?? *राजू* : - ये तो पैसे वसूली का, आप ही का स्टाइल है साहब।  1 से 100 रीडिंग का रेट अलग,  100 से 200 का अलग,  200 से 300 का अलग।  अरे आपके बाप की बिजली है क्या ? आप भी तो एक ही खंभे से बिजली देते हो।  तो फिर घर के लिए अलग रेट,  दूकान के लिए अलग रेट,  कारखाने के लिए अलग रेट,  फिर इंधन भार, विज आकार..... और हाँ, एक बात और साहब,  *मीटर का भाड़ा।* मीटर क्या अमेरिका से आयात किया है ? 25 सालों से उसका भाड़ा भर रहा