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राजनेताओं का असली चेहरा : कब हम जागेंगे?

  राजनेताओं का असली चेहरा : कब हम जागेंगे? आज की राजनीति के जटिल परिदृश्य में हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि यह प्रणाली टूटी हुई है। कड़वा सच यह है कि राजनेता और पार्टियां आम आदमी के लिए काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि अपने स्वार्थ और पैसे के लिए काम कर रहे हैं। सवाल यह है कि हम इस सच्चाई को कब स्वीकार करेंगे और असली बदलाव की मांग करेंगे? लोकतंत्र का भ्रम हमें यह बताया जाता है कि लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है जहां लोगों की आवाज सुनी जाती है। हम अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो हमारे लिए फैसले लेते हैं, और बदले में वे समाज के हित में काम करते हैं। लेकिन सच्चाई इससे काफी दूर है। राजनेता और पार्टियां अपनी ताकत और पैसे के लिए ज्यादा चिंतित हैं, न कि लोगों के हित के लिए। सिंडिकेट और लॉबी की ताकत पीछे की ओर, शक्तिशाली सिंडिकेट और लॉबी राजनीतिक प्रक्रिया पर काफी प्रभाव डालते हैं। ये समूह बड़े व्यापार, कॉर्पोरेट और अमीर लोगों के हित में काम करते हैं। वे अपने संसाधनों का उपयोग नीति और कानून बनाने में करते हैं, अक्सर आम आदमी के नुकसान में。उदाहरण के लिए, फार्मास्युटिकल उद्योग स्वास्थ्य नीति पर प