एक आदमी
अस्पताल में
आखिरी सांसें गिन रहा था।
एक नर्स
और उसके परिवार वाले
उसके बिस्तर के पास
खड़े थे।
आदमी
अपने बड़े बेटे से बोला:
-बेटा,
तू मेरे
मिलेनियम सिटी वाले
15 बंगले ले ले।
बेटी से बोला:
-बेटी,
तू सोनीपत सेक्टर 14 के
बंगले ले ले।
छोटे बेटे से बोला:
-तू सबसे छोटा है
और मुझे सबसे ज्यादा
प्यारा भी है,
इसलिए
तुझे मैं
ग्रीन पार्क की
20 दुकानें देता हूं।
आखिर में
आदमी
अपनी पत्नी से बोला:
-मेरे बाद
तुम्हें पैसों के लिए
किसी का मुंह न ताकना पड़े,
इसलिए
डीएलएफ वाले
12 फ्लैट
तुम अपने पास रख लो।
पास में खड़ी नर्स
यह सब सुनकर
आदमी की पत्नी से बोली:
-आप बहुत भाग्यशाली हैं कि आपको
इतने अमीर पति मिले,
जो इतनी सारी जायदाद देकर जा रहे हैं।
.
.
.
.
आदमी की पत्नी:
-कौन अमीर?
कैसी जायदाद?
अरे, ये पेपर वाला हैं...
हम सबको
सुबह-सुबह
पेपर ङालने की जिम्मेदारियां
बांट रहे हैं!!!
नर्स आज तक कोमा मे है
घरों में छुपा संघर्ष: क्यों मानसिक स्वास्थ्य को प्यार चाहिए, शर्म नहीं हम भारतीयों को अपने मजबूत परिवारों पर गर्व होता है, वो अटूट सहारा प्रणाली जो हमें हर मुश्किल दौर में साथ बांधकर रखती है. लेकिन क्या होता है जब उन ज़िम्मेदारियों का बोझ सहना इतना ज़्यादा हो जाता है कि उसे चुपचाप सहना पड़े? क्या होता है जब वो जो सब कुछ संभाले हुए हैं, वो अदृश्य रूप से जूझ रहे हैं? मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं हम में से बहुतों को जकड़ लेती हैं, यहां भारत में, फिर भी हम अक्सर उन्हें कमज़ोरी या किसी तरह की कमी के रूप में खारिज कर देते हैं. लेकिन ये पागलपन या अस्थिरता के संकेत नहीं हैं. ये भीतर से आने वाली पुकारें हैं, मदद के लिए गुहार लगाते हैं, जो ज़िंदगी के थपेड़ों और असफलताओं के बोझ तले दबे हुए हैं. अपने मां बाप या किसी ऐसे भाई या बहन की कल्पना कीजिए जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते है, हर बोझ को अपने कंधे पर उठा लेते है. लेकिन क्या हो अगर वही भाई या बहन डूब रहा हो, चारों तरफ शुभचिंतक मौजूद हों, परंतु मदद के लिए आवाज़ न निकाल पाए? शायद उसकी मुस्कान एक मुखौटा है, जो तन...
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