एक आदमी
अस्पताल में
आखिरी सांसें गिन रहा था।
एक नर्स
और उसके परिवार वाले
उसके बिस्तर के पास
खड़े थे।
आदमी
अपने बड़े बेटे से बोला:
-बेटा,
तू मेरे
मिलेनियम सिटी वाले
15 बंगले ले ले।
बेटी से बोला:
-बेटी,
तू सोनीपत सेक्टर 14 के
बंगले ले ले।
छोटे बेटे से बोला:
-तू सबसे छोटा है
और मुझे सबसे ज्यादा
प्यारा भी है,
इसलिए
तुझे मैं
ग्रीन पार्क की
20 दुकानें देता हूं।
आखिर में
आदमी
अपनी पत्नी से बोला:
-मेरे बाद
तुम्हें पैसों के लिए
किसी का मुंह न ताकना पड़े,
इसलिए
डीएलएफ वाले
12 फ्लैट
तुम अपने पास रख लो।
पास में खड़ी नर्स
यह सब सुनकर
आदमी की पत्नी से बोली:
-आप बहुत भाग्यशाली हैं कि आपको
इतने अमीर पति मिले,
जो इतनी सारी जायदाद देकर जा रहे हैं।
.
.
.
.
आदमी की पत्नी:
-कौन अमीर?
कैसी जायदाद?
अरे, ये पेपर वाला हैं...
हम सबको
सुबह-सुबह
पेपर ङालने की जिम्मेदारियां
बांट रहे हैं!!!
नर्स आज तक कोमा मे है
भावनाओं का संक्रमण: हमारी जुड़ी हुई दुनिया में साझा भावनाओं की छिपी ताकत आजकल हम जो इतने जुड़े हुए हैं, वहां हम लगातार हर तरह की जानकारी और भावनाओं से घिरे रहते हैं। सोशल मीडिया की खुशियों से लेकर बड़ी खबरों के डर तक, ऐसा लगता है कि हमारी भावनाएं ऑनलाइन और असल दुनिया में दूसरों से मिलती हैं। इस चीज को भावनाओं का संक्रमण कहते हैं, यानि जाने-अनजाने में दूसरों की भावनाएं हम तक पहुंच जाती हैं । ये एक बहुत बड़ी ताकत है जो हमारा मूड, हमारे सोचने का तरीका, और यहाँ तक कि हमारी सेहत भी बदल सकती है, और ये अक्सर बिना हमें पता चले होता है। इसके पीछे का विज्ञान भावनाओं का संक्रमण सिर्फ एक कहावत नहीं है। खोज बताती है कि इसका दिमाग से बहुत गहरा संबंध है। हमारे दिमाग में कुछ खास कोशिकाएं होती हैं, 'मिरर न्यूरॉन्स'। जब हम किसी को कुछ करते या महसूस करते हुए देखते हैं, ये कोशिकाएं काम करने लगती हैं। जैसे, जब हम किसी को हंसते हुए देखते हैं, तो हमारे अपने मिरर न्यूरॉन्स उसे नकल करते हैं, और हम भी शायद खुश हो जाते हैं। सिर्फ नकल ही नहीं, भावनाओं का संक्रमण हमारी बॉडी लैंग्वेज और आवाज के उतार-चढ़ा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें