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डेढ होशियारी

एक पैसेंजर ट्रेन इंदौर से भीलवाडा की तरफ
रवाना होनी थी.
रात दस बजे सभी डिब्बे खचाखच भर गए.
हमारे एडमिन जी भी चढ़
तो गए, पर जब उन्हें बैठने तक की जगह नहीं मिली
तो उन्हें एक उपाय सूझा.
उन्होंने "सांप, सांप, सांप," चिल्लाना शुरू कर
दिया.
यात्री लोग डर के मारे सामान सहित उतर कर
दूसरे डिब्बों में चले गए.
वे ठाठ से ऊपर वाली सीट पर बिस्तर लगा कर
लेट गए, दिन भर के थके थे
सो जल्दी ही नीद भी आ गई. सवेरा हुआ,
"चाय, चाय" की आवाज पर वे उठे चाय ली और
चाय वाले से पूछा कि कौन सा स्टेशन आया है?
तो चाय वाले ने बताया, "इंदौर   है."
फिर पूछा, "इंदौर  से तो रात को चले थे?"
चाय वाला बोला, "इस डिब्बे में सांप निकल आया था
इसलिए इस डिब्बे को यहीं काट दिया था."

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