एक इंजिनियर को जॉब नही मिली
तो उसने क्लिनिक खोला और बाहर लिखा
तीन सौ रूपये मे ईलाज करवाये
ईलाज नही हुआ तो एक हजार रूपये वापिस....
एक डॉक्टर ने सोचा कि एक हजार रूपये कमाने
का अच्छा मौका है
वो क्लिनिक पर गया
और बोला
मुझे किसी भी चीज का स्वाद नही आता है
इंजिनियर : बॉक्स नं.२२ से दवा निकालो और ३ बूँद
पिलाओ
नर्स ने पिला दी
मरीज(डॉक्टर) : ये तो पेट्रोल है
इंजिनियर : मुबारक हो आपको टेस्ट महसूस हो गया
लाओ तीन सौ रूपये
डॉक्टर को गुस्सा आ गया
कुछ दिन बाद फिर वापिस गया
पुराने पैसे वसूलने
मरीज(डॉक्टर) :साहब मेरी याददास्त कमजोर हो गई है
इंजिनियर : बॉक्स नं. २२ से दवा निकालो और ३ बूँद
पिलाओ
मरीज (डॉक्टर) : लेकिन वो दवा तो जुबान की टेस्ट के
लिए है
इंजिनियर : ये लो तुम्हारी याददास्त भी वापस आ गई
लाओ तीन सौ रुपए।
इस बार डॉक्टर गुस्से में गया
डॉक्टर-मेरी नजर कम हो गई है
इंजीनियर- इसकी दवाई मेरे पास नहीं है। लो एक हजार
रुपये।
डॉक्टर-यह तो पांच सौ का नोट है।
इंजीनियर- आ गई नजर। ला तीन सौ रुपये।
भावनाओं का संक्रमण: हमारी जुड़ी हुई दुनिया में साझा भावनाओं की छिपी ताकत आजकल हम जो इतने जुड़े हुए हैं, वहां हम लगातार हर तरह की जानकारी और भावनाओं से घिरे रहते हैं। सोशल मीडिया की खुशियों से लेकर बड़ी खबरों के डर तक, ऐसा लगता है कि हमारी भावनाएं ऑनलाइन और असल दुनिया में दूसरों से मिलती हैं। इस चीज को भावनाओं का संक्रमण कहते हैं, यानि जाने-अनजाने में दूसरों की भावनाएं हम तक पहुंच जाती हैं । ये एक बहुत बड़ी ताकत है जो हमारा मूड, हमारे सोचने का तरीका, और यहाँ तक कि हमारी सेहत भी बदल सकती है, और ये अक्सर बिना हमें पता चले होता है। इसके पीछे का विज्ञान भावनाओं का संक्रमण सिर्फ एक कहावत नहीं है। खोज बताती है कि इसका दिमाग से बहुत गहरा संबंध है। हमारे दिमाग में कुछ खास कोशिकाएं होती हैं, 'मिरर न्यूरॉन्स'। जब हम किसी को कुछ करते या महसूस करते हुए देखते हैं, ये कोशिकाएं काम करने लगती हैं। जैसे, जब हम किसी को हंसते हुए देखते हैं, तो हमारे अपने मिरर न्यूरॉन्स उसे नकल करते हैं, और हम भी शायद खुश हो जाते हैं। सिर्फ नकल ही नहीं, भावनाओं का संक्रमण हमारी बॉडी लैंग्वेज और आवाज के उतार-चढ़ा
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