एक नौजवान ने एक बुजुर्ग से
पूछा :बाबा बताएं जब एक दिन
दुनिया से जाना है तो फिर लोग पैसो के पीछे
क्यों भागते हैं ?
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जब जमीन जायदाद जेवर यहीं रह
जाते हैं तो लोग
इनको अपनी जिन्दगी क्यों बनाते हैं ??
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जब रिश्ते निभाने
की बारी आती है तो दोस्त
ही दुश्मनी क्यों निभाते
हैं ??
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बुजुर्ग ने गौर से तीनों सवाल सुने और
अपनी जेब में हाथ डाला...
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नौजवान बड़े गौर से सब देख रहा था...फिर
उस बुज़ुर्ग ने
अपनी जेब से माचिस
की डिब्बी निकली...
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माचिस की डब्बी से तीन
तीलियाँ निकाली
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दो तीलियाँ उसने उस लड़के की तरफ
फेंक दी...
एक उसके दायें में और एक बायीं तरफ...
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और एक तीली को आधा तोड़
कर उपर वाला भाग फेंक दिया...लड़का ये
सब बड़े गौर से देख
रहा था
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इसके बाद बाबा ने बची हुई
तीली के नीचे वाले भाग
को नुकीला बनाया...और आसमान
की तरफ देखा...
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लड़के
की जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी...
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बाबा ने नुकीला हिस्सा अपने मुँह में
डाला और
अपने दांत कुरेदते हुए बोले -
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म्हारे कई मालूम गेलिया.....
भावनाओं का संक्रमण: हमारी जुड़ी हुई दुनिया में साझा भावनाओं की छिपी ताकत आजकल हम जो इतने जुड़े हुए हैं, वहां हम लगातार हर तरह की जानकारी और भावनाओं से घिरे रहते हैं। सोशल मीडिया की खुशियों से लेकर बड़ी खबरों के डर तक, ऐसा लगता है कि हमारी भावनाएं ऑनलाइन और असल दुनिया में दूसरों से मिलती हैं। इस चीज को भावनाओं का संक्रमण कहते हैं, यानि जाने-अनजाने में दूसरों की भावनाएं हम तक पहुंच जाती हैं । ये एक बहुत बड़ी ताकत है जो हमारा मूड, हमारे सोचने का तरीका, और यहाँ तक कि हमारी सेहत भी बदल सकती है, और ये अक्सर बिना हमें पता चले होता है। इसके पीछे का विज्ञान भावनाओं का संक्रमण सिर्फ एक कहावत नहीं है। खोज बताती है कि इसका दिमाग से बहुत गहरा संबंध है। हमारे दिमाग में कुछ खास कोशिकाएं होती हैं, 'मिरर न्यूरॉन्स'। जब हम किसी को कुछ करते या महसूस करते हुए देखते हैं, ये कोशिकाएं काम करने लगती हैं। जैसे, जब हम किसी को हंसते हुए देखते हैं, तो हमारे अपने मिरर न्यूरॉन्स उसे नकल करते हैं, और हम भी शायद खुश हो जाते हैं। सिर्फ नकल ही नहीं, भावनाओं का संक्रमण हमारी बॉडी लैंग्वेज और आवाज के उतार-चढ़ा
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